राजा कृष्णदेव राय

राजा कृष्णदेव राय का संपूर्ण इतिहास
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भारत के सर्वाधिक शक्तिशाली शासक कृष्णदेव राय(1509ई से 1529ई):राजा कृष्णदेव राय के पूर्वजों ने एक महान साम्राज्य की नींव रखी जिसे विजयनगर साम्राज्य (लगभग 1350ई से 1565ई)कहा गया ।देवराय ने इसे विस्तार दिया और मृत्युपर्यंत्र तक अक्षुण्ण बनाए रखा । विजयनगर साम्राज्य की स्थापना इतिहास की एक काल जयी घटना है।विजयनगर का अर्थ होता है विजय का शहर ।
इस राज्य की प्रमुख राजधानी का नाम हम्पी और डंपी था ।हम्पी के मंदिरों और महलों के खंडहरों को देखकर जाना जा सकता है कि यह कितना भव्य रहा होगा ।इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है ।जिस तरह वर्तमान में न्यूयॉर्क,दुबई और हांगकांग विश्व व्यापार और आधुनिकता के शहर हैं वैसे ही उस समय में हम्पी हुआ करता था ।भारतीय इतिहास  के मध्यकाल में दक्षिण भारत के विजयनगर  साम्राज्य को लगभग वैसी ही  प्रतिष्ठा प्राप्त थी,जैसी की प्राचीनकाल में मगध,उज्जैनी या थानेश्वर के साम्राज्य को प्राप्त थी ।
महान सम्राट का जन्म: महान राजा कृष्णदेव राय का जन्म 16फरवरी 1471ई को कर्नाटक के हम्पी में हुआ था ।उनके पिता का नाम तुलुआ नरसा नायक और माता का नाम नगला देवी था । उनके बढ़े भाई का नाम वीर नरसिंह था । नरसा नायक सालुव वंश के एक सेना नायक थे । नरसा नायक को सालुव वंश के दूसरे अल्प वयस्क शासक इम्माडी नरसिंह का संरक्षक बनाया गया था इम्मा डी नरसिंह अस्वस्थ्य था, इसलिए नरसा नायक ने उसे कैद कर लिया और संपूर्ण उत्तर भारत पर अधिकार कर लिया। तुलुवा नरसा नायक ने 1491ई में विजयनगर की बागडोर अपने हाथ में ले ली । यह ऐसा समय था जब साम्राज्य में विद्रोही सिर उठा रहे थे । 1503ई में नरसा नायक की मृत्यु हो गई ।
राज्याभिषेक:राजा कृष्णदेव राय के पूर्व उनके बड़े भाई वीर नरसिंह(1505से 1509ई ) राज सिंहासन पर विराजमान थे । 1509ई में वीर नरसिंह की मृत्यु हो गई । वीर नरसिंह के देहांत के बाद 8 अगस्त 1509ई को कृष्णदेव राय का विजय नगर साम्राज्य के सिंहासन पर राजतिलक किया गया।
 कृष्णदेव राय के दरबार में तेलुगु साहित्य के आठ सर्वश्रेष्ठ कवि रहते थे जिन्हें अष्ट दिग्गज कहा जाता था ।
कृष्णदेव राय स्वयं भी तेलुगु साहित्य के महान विद्वान थे।उन्होंने तेलुगु के महान ग्रन्थ "अमुक्त माल्यद"की रचना की । कृष्णदेव राय को आंध्र भोज की उपाधि प्राप्त थी । इसके अलावा उन्हें अभिनव भोज, और आंध्र पितामह भी कहा जाता  था ।
कृष्णदेव राय का साम्राज्य:
इस महान सम्राट का साम्राज्य अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ था जिसमें आज कर्नाटक,तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश,केरल,गोवा, और उड़ीसा प्रदेश आते हैं । महाराज के राज्य की सीमाएं पूर्व में विशाखापटनम,पश्चिम में कोंकण और दक्षिण में भारतीय महाद्वीप के  अंतिम छोर तट पहुंच गई थी । हिंद महासागर में स्थित कुछ द्वीप भी उनका आधिपत्य स्वीकार करते थे ।
सम्राट  की मृत्यु:
सम्राट कृष्णदेव राय ने अपने इकलौते पुत्र तिरुमल रॉय को राजगद्दी देकर प्रशिक्षित करना प्रारंभ कर दिया था,लेकिन पुत्र तिरुमल रॉय की एक षडयंत्र के तहत हत्या कर दी गई  ।  इसी विषाद में कृष्ण देवराय की भी 1529ई में हम्पी में मृत्यु हो गई । कृष्णदेव राय के बाद अच्युत राय 1530ई में गद्दी पर बैठे।उसके बाद  1542 में सदाशिव राय राजा बने ।
 (श्रोत अनिरुद्ध जोशी का संकलन,WEBDUNIA, हिंदी)