सम्राट मिहिर भोज कन्नौज के सम्राट थे ।उन्होंने 836ई से 885ई तक 49साल के लंबे समय तक शासन किया था ।उनके पत्नी का नाम चंद्रभट्टरिका देवी था ।सम्राट मिहिर भोज के राज्य का विस्तार वर्तमान मुल्तान से लेकर बंगाल तक और कश्मीर से लेकर कर्नाटक तक फैला था।उनके राज्य के सीमाओं के अंतर्गत वर्तमान भारत के हिमाचल,पंजाब,हरियाणा,राजस्थान,उत्तरप्रदेश,मध्य प्रदेश,गुजरात और उड़ीसा आते हैं ।इस विशाल साम्राज्य की राजधानी कन्नौज में थी ।राजधानी कन्नौज में उनके सात किले थे ।राजा मिहिर भोज के शासन काल में सोने और चांदी के सिक्के प्रचलन में थे ।उनके समय सोने के सिक्के पर वराह की आकृतियां उकेरी गई थी ।मिहिर भोज की एक उपाधि आदिवराह की भी थी ।
स्कंद पुराण के प्रभास खंड में भी सम्राट मिहिर भोज की वीरता,शौर्यौर पराक्रम के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है ।कश्मीर के राज्य कवि कल्हण ने अपनी पुस्तक राज तरंगिणी में सम्राट मिहिरभोज का उल्लेख किया है। 915ई में भारत भ्रमण पर आए बगदाद के इतिहासकार अल मसूदी ने भी उनके राज्य की सीमा,सेना, और व्यवस्था का वर्णन किया है ।
सम्राट मिहिर भोज जीवन के अंतिम वर्षों में अपने बेटे महेंद्रपाल को राज सिंहासन सौंपकर संन्यास ले लिया था ।मिहिर भोज का स्वर्गवास 888ई को 72वर्ष की आयु में हुआ था ।
(श्रोत:अनिरुद्ध जोशी का संकलन WEBINDIA हिंदी)